पुलिस की वर्दी और स्टार से उसकी रैंक कैसे पहचाने? पुलिस की वर्दी पर स्टार का मतलब, पुलिस की रैंक (Ranks of Police) की जानकारी

हमारे भारत देश में सभी पुलिसकर्मियों की आम तौर पर एक ही प्रकार की वर्दी होती है जिसका रंग खाकी होता है। इस खाकी रंग से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि ये आदमी पुलिस की नौकरी कर रहा है। किन्तु इससे इस बात का पता नहीं लगेगा की वह आदमी किस रैंक में काम कर रहा है। रैंक का पता हम पुलिस की वर्दी में लगे चिन्हों से पता कर सकते हैं। जो की स्टार के रूप में वर्दी पर लगाए जाते हैं किस का कौन सा पद या पोस्ट है वर्दी पर लगे इन स्टार से पद का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि वर्दी तो एक सिपाही हो या फिर उच्च पद पर कार्य करने वाले दोनों लोगों की एक समान होती है।

पुलिस की वर्दी और स्टार से उसकी रैंक कैसे पहचाने?

देश के सभी प्रदेशों में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती रहती है। पुलिस बल में अलग-अलग पदों पर पुलिस कर्मी एवं अधिकारी तैनात होते है, इन सभी लोगों की रैंक भी अलग-अलग होती है। चूंकि पुलिस कार्मिकों की यूनिफॉर्म एक जैसी ही नजर आती है तो आपको इन्हें यूनिफॉर्म में लगे बैंचों की माध्यम से पहचानना है।

डायरेक्टर ऑफ इंटेलिजेंट ब्यूरो (DIB)

यह अधिकारी ख़ुफ़िया विभाग एक निदेशक रहते है जिनको “आईबी अथवा डीआईबी” भी कहते है। इन अधिकारियों की युनिफॉर्म में एक अशोक स्तम्भ एवं एक सितारा सहित तलवार दिखाई देता है।

डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (DGP)

ये अधिकारी देश की सभी प्रदेशों में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी होता है। ये देश का सर्वोच्च पुलिस पद है जिसके पास प्रदेश की पुलिस में सर्वाधिक ताकत होती है। यह अधिकारी प्रदेश भर की पुलिस को नियंत्रण में रखने का कार्य करता है।

DGP को प्रदेश पुलिस प्रमुख भी कहते है। देश में GDP (पुलिस महा निदेशक) एक तीन सितारा रैंक का पुलिस ऑफिसर्स होता है। इस प्रकार से DGP पुलिस बल की सर्वोच्च पोस्ट होती है।

डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (DGP)

एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP)

ये आईपीएस अधिकारी होते है जिन्हे प्रत्येक प्रदेशों में क्षेत्र प्रमुख की तरह से नियुक्ति मिलती है। यह भी पुलिस डीजीपी की तरह ही तीन सितारा पुलिस ऑफिसर होता है। परन्तु पुलिस विभाग में ‘अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी)’ को DGP से निकृष्टम पोस्ट माना जाता है।

एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP)

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG)

आईजी एक आईपीएस रैंक का अधिकारी होता है जोकि देश के किसी भी प्रदेश में पुलिस विभाग का तीसरे स्थान का अधिकारी होता है। पुलिस विभाग में एक आईजी का पद ADGP से ठीक कम होता है।

डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DIG)

पुलिस बल में इस पद को ‘उप महानिरीक्षक’ कहते है। यह अधिकारी पुलिस विभाग में एसएसपी से ऊपर होता है जिसको ‘उपमहानिरक्षक’ भी कहते है। यह अधिकारी ‘एडिशनल ऑफ पुलिस कमिश्नर’ भी कहलाता है। वैसे तो विभाग में यह कोई पद नहीं होता है इसके लिए सिर्फ उन्ही आईपीएस अधिकारीयों को नियुक्ति मिलती है जिनको अनुभव होता है।

साथ ही जिन्हे सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) एवं सीनियर सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SSP) पद पर अधिक समय तक कार्य का अनुभव है। इस अधिकारी के पास पुलिस विभाग के अधिकारीयों का निरीक्षण करने की पूरी ताकत निहित होती है। इनकी यूनिफॉर्म में दोनों ओर अशोक स्तम्भ सहित तीन सितारे लगे होते है और इसके नीचे आईपीएस का बैच भी लगा रहता है।

डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DIG)

सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP)

यह पद एसएसपी से जूनियर होती है और कुछ स्थानों पर ‘डीसीपी’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। प्रदेश में जिले स्तर पर पुलिस विभाग की सबसे उच्चतम पद ‘एसपी’ का ही होता है। इस अधिकारी का कर्तव्य जिले में कानून-व्यवस्था को कायम रखना है। पुलिस विभाग में एसएसपी की नियुक्ति यूपीएससी के माध्यम से चुने आईपीएस अधिकारी के माध्यम से होती है।

एसपी पद पर नियुक्त हुए अधिकारी के देश में गैर महानगरीय जिलों में ज़िला प्रमुख की तरह से कार्यभार मिलता है। इसी प्रकार से वह अधिकारी छोटे जिलों सहित अधिक जनसंख्या वाले शहरी एवं ग्रामीण इलाकों का भी प्रमुख होता है। एसपी की यूनिफॉर्म में अशोक स्तम्भ एवं चाँदी के एक-एक सितारे दोनों कंधो पर मौजूद रहते है।

सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP)

एडिशनल सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP)

पुलिस विभाग में इस अधिकारी को ‘अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक’ कहते है जोकि एक IPS पद का पुलिस अधिकारी होता है। पुलिस विभाग में एडिशनल सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के पद को डीएसपी से बड़ी रैंक मिलती है।

यदि कोई पुलिस अधिकारी प्रदेश पुलिस सेवा में है तो उसको डीएसपी का पद मिलता है। इसी प्रकार से ‘भारतीय पुलिस सेवा’ में नियुक्ति मिलने पर इनको ASP का पद मिलता है। इनकी पहचान के लिए यूनिफॉर्म के दोनों ओर ‘अशोक स्तम्भ’ मौजूद होते है।

एडिशनल सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP)
एडिशनल सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP)

डिप्टी सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP)

पुलिस विभाग में ये उच्च स्तर के नियुक्त अधिकारी होते है और एक डीएसपी के पास एसीपी एक समान ही अधिकार होते है। डिप्टी सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस की नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है। देश में अधिकतर डीएसपी को राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के सर्किल अधिकारी की तरह से नियुक्ति मिलती है। इसके अंतर्गत करीबन 5 से 6 पुलिस थाने आते है और इसी कारण से इनको ‘क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर)’ भी कहते है।

ये अधिकारी प्रदेश पुलिस को प्रदर्शित करता है और प्रदेश के पुलिस अधिकारीयों को एक्शन लेने के निर्देश भी देता है। यह अधिकारी विभाग में ‘अचानक निरीक्षण’ करने की ताकत रखता है। इनको यूनिफॉर्म से पहचानने के लिए इनके दोनों कन्धों पर तीन-तीन चाँदी के सितारे लगे रहते है और इनके नीचे प्रदेश पुलिस का बैच लगा रहता है।

डिप्टी सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP)

पुलिस इंस्पेक्टर (PI)

यह पद पुलिस विभाग में ‘पुलिस निरीक्षक’ के रूप में जाना जाता है जोकि पुलिस थाने का ‘इन्चार्ज अधिकारी’ कहलाता है। ये अधिकारी समूचे पुलिस थाने एक ‘सर्वोच्च कमाण्ड अधिकारी’ होता है। यह विभाग में ‘एसओ एवं एसएचओ’ के नाम से भी पहचाने जाते है। यह अधिकारी थाने के प्रमुख के साथ ही अपने क्षेत्र की कानून-व्यवस्था के लिए भी जिम्मेदार होता है। इनकी पहचान यूनिफॉर्म के दोनों कन्धों पर लगे तीन-तीन स्टार और इनके नीचे लाल और नीले रंग की पंक्ति होती है।

पुलिस इंस्पेक्टर (PI)

उप निरीक्षक (SI)

पुलिस विभाग में यह पद ‘उप-निरीक्षक’ के नाम से जाना जाता है जोकि पुलिस मैन एवं हेड-कांस्टेबल को आदेश देने का कार्य करता है। यह विभाग में ‘दारोगा’ के नाम से भी पहचाना जाता है। पुलिस विभाग में यह व्यक्ति चौकी के इंचार्ज का कार्यभार सम्हालता है। विभाग में इस पद को एक सम्माननीय पद मानते है चूँकि यह जाँच-पड़ताल करने वाला अधिकारी होता है।

इस रैंक के अधिकारी को यूनिफॉर्म में लगे लाल एवं नीले रंग की पट्टियों और इनमें लगे दो-दो सितारों से पहचान सकते है। इसके साथ ही इनकी बाज़ू में पुलिस विभाग का बैच भी लगा रहता है। इस पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार के पद स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।

उप निरीक्षक (SI)

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI)

पुलिस विभाग में यह पद एक अधिकारी के पद की शुरुआत होती है। यह अधिकारी पुलिस थाने में अथवा थाने से लगी चौकी में एक सहायक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न प्रदेशों में पुलिस ऑफिसर्स की बाई बाज़ू में प्रदेश की पुलिस का बैच मौजूद रहता है। इनको पहचाने के लिए यूनिफॉर्म के दोनों बाज़ू में एक-एक सितारे एवं नीले-लाल रंग की पट्टी देख सकते है।

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI)

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कांस्टेबल

पुलिस विभाग में कांस्टेबल के 2 पद आते है –

  • हेड कांस्टेबल
  • सीनियर कांस्टेबल

हेड कांस्टेबल (हवलदार)

पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद के ऊपर ‘हेड कांस्टेबल’ की पोस्ट होती है। पुलिस विभाग में जो भी कर्मचारी 5 वर्ष अथवा इससे अधिक का समय एक कांस्टेबल के रूप में व्यतीत कर लेता है, ऐसे पुलिसकर्मी को पदोन्नति देकर ‘हेड कांस्टेबल’ बनाते है। देश के कुछ प्रदेशो में हेड कांस्टेबल के पद के बाद ‘सीनियर कांस्टेबल एवं लांच नायक’ के पद भी होते है।

यह पुलिस कर्मी विभाग में इंस्पेक्टर की सहायता करता है और थाने में रिपोर्ट दर्ज़ करके रिकॉर्ड को संभालने का भी कार्य करता है। विभाग के हेड कांस्टेबल को उसकी यूनिफॉर्म के बाई बाज़ू पर तीन रंग की पट्टियों से पहचान सकते है। देश के कुछ प्रदेशों के पुलिस में ये पट्टी सफ़ेद अथवा काले रंग में भी होती है। इनकी वर्दी में किसी प्रकार के सितारे नहीं होते है।

हेड कांस्टेबल (हवलदार)

सीनियर पुलिस कांस्टेबल (लांस नायक)

ये पद पुलिस विभाग में पुलिस कांस्टेबल के ऊपर आता है। इस कर्मी के यूनिफॉर्म में बैच के स्थान पर काली पट्टी रहती है और इस पट्टी के ऊपर एक पीले रंग की स्ट्रीप भी मौजूद रहती है। कुछ प्रदेशों की पुलिस में बैच पर लाल रंग की स्ट्रीप भी देखने को मिलती है।

पुलिस कांस्टेबल (PC)

देश के सभी पुलिस थानों में यह पद सबसे नीचे आता है और एक पुलिस कांस्टेबल को सादी वर्दी दी जाती है। यह कर्मी मुख्य रूप पुलिस थाने में FIR दर्ज़ करने का काम करता है। साथ ही किसी भी कार्य में अपने से बड़े अधिकारी को सहायता भी देता है। यदि पुलिस थाने में कोई बड़ा अधिकारी मौजूद नहीं है तो कांस्टेबल को ही ज़रुरी कार्यवाही करनी होती है।

एक पुलिस कांस्टेबल की वर्दी में कंधे पर एक पट्टी लगी रहती है जिसमे कोई भी बैच नहीं लगा रहता है। यदि किसी पुलिस कर्मी के कन्धे अथवा स्लीव पर कोई कोई निशान नहीं मिलता तो वह एक पुलिस कांस्टेबल ही होता है।

पुलिस कांस्टेबल (PC)

पुलिस में पद के अनुसार सैलरी

क्रमाँकपद का नामवेतनमान
1डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (DGP)2,25,000
2एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP)2,05,400
3इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG)1,44,200
4डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DIG)1,31,000
5सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP)1,18,500
6एडिशनल सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (Add. SP) 78,800
7डिप्टी सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) 67,700
8पुलिस इंस्पेक्टर (PI)44,900
9उप निरीक्षक (SI)35,400
10असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI)29,200
11हेड कांस्टेबल25,500
12सीनियर पुलिस कांस्टेबल (लांस नायक)21,700
13पुलिस कांस्टेबल21,700

पुलिस रैंक लिस्ट से जुड़े प्रश्न

पुलिस विभाग में DGP क्या रैंक होती है?

यह पुलिस विभाग की सर्वाधिक उच्चतम पोस्ट है और सबसे बड़ी रैंक भी होती है। डीजीपी पुलिस बल का मुख्य अधिकारी होता है। इसके अतिरिक्त इनको प्रदेश की पुलिस में ‘स्टेट पुलिस चीफ’ भी कहते है।

पुलिस को किस विषय के अंतर्गत रखा जाता है?

देश के संविधान में सातवीं सूची के अंतर्गत पुलिस को प्रदेश विषय बताया गया है। पुलिस प्रदेश सूची के भीतर निहित होती है।

क्या पुलिस विभाग के कर्मी की यूनिफॉर्म में नेम प्लेट होती है?

हाँ, पुलिस कर्मी की यूनिफॉर्म पर नाम की प्लेट होती है।

देश के पुलिस बल से जुडी जानकारी प्राप्त करने के लिए कौन सी वेबसाइट है?

यदि पुलिस विभाग की कोई जानकारी प्राप्त करनी हो तो आपको इसकी वेबसाइट http://police.gov.in पर जाना होगा।

पुलिस विभाग में हाई पोस्ट के अधिकारियों की नियुक्ति किसके द्वारा होती है?

देश के पुलिस विभाग के उच्च पदों पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के द्वारा चुने गए IPS ऑफिसर्स के द्वारा भर्ती करते है।

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